“शरीर से गैस क्यों निकलती है? विज्ञान क्या कहता है”
शरीर से पीछे की ओर गैस निकलना पूरी तरह स्वाभाविक शारीरिक प्रक्रिया है। इसे हम आम तौर पर “गैस” या “फ्लैट्युलेंस” कहते हैं। यह कोई असभ्य बात नहीं, बल्कि पाचन तंत्र के सही ढंग से काम करने का संकेत भी हो सकती है।
आइए इसे सरल भाषा में समझते हैं—
गैस कैसे बनती है, क्यों निकलती है, किन स्थितियों में ज्यादा होती है, और इसे संतुलित कैसे रखें।
गैस बनती कैसे है?
निगली हुई हवा: जल्दी-जल्दी खाना, कार्बोनेटेड ड्रिंक्स, स्ट्रॉ से पीना या च्युइंग गम से हवा पेट में चली जाती है। इसका कुछ हिस्सा गैस के रूप में बाहर निकलता है।
आंतों में पाचन: हमारी बड़ी आंत में रहने वाले “गट बैक्टीरिया” भोजन के न पचे हिस्सों (खासकर फाइबर और कुछ कार्बोहाइड्रेट) को तोड़ते हैं। इस प्रक्रिया में हाइड्रोजन, कार्बन डाइऑक्साइड, मीथेन जैसी गैसें बनती हैं।
कुछ खाद्य पदार्थ: राजमा, चना, पत्ता गोभी, फूलगोभी, ब्रोकोली, प्याज, लहसुन, साबुत अनाज, डेयरी (लैक्टोज संवेदनशीलता में) और आर्टिफिशियल स्वीटनर गैस बढ़ा सकते हैं।
गैस निकलती क्यों है?
दबाव रिलीज़ करना: आंतों में बनी गैस जब इकट्ठी हो जाती है, तो शरीर स्वाभाविक रूप से उसे बाहर निकाल देता है। इससे पेट में फूला‑फूला, भारीपन या ऐंठन जैसी असहजता कम होती है।
दिशा “पीछे” क्यों? पाचन तंत्र की संरचना ऐसी है कि गैस आंतों के मार्ग से होकर मलाशय की ओर बढ़ती है। यह सामान्य एनाटॉमी के कारण है।
कब ज्यादा गैस होती है?
भोजन की वजह से: हाई‑फाइबर या गैस बनाने वाले फूड्स खाने के बाद।
जल्दी खाना या बात करते‑करते खाना: हवा ज्यादा निगलने से।
आंतों की संवेदनशीलता: IBS जैसी स्थितियों में गैस और पेट फूलना ज्यादा महसूस हो सकता है।
असहिष्णुता: लैक्टोज या ग्लूटेन संवेदनशीलता में गैस, ऐंठन, दस्त हो सकते हैं।
दवाइयाँ और सप्लीमेंट्स: कुछ एंटीबायोटिक्स, आयरन, मैग्नीशियम आदि पाचन पर असर डाल सकते हैं।
हार्मोनल बदलाव: कुछ लोगों में मासिक चक्र के आसपास पेट फूला‑फूला लग सकता है।
निष्क्रिय जीवनशैली: कम मूवमेंट से आंतों की गतिशीलता धीमी पड़ सकती है।
क्या यह “बुरी बात” है?
सामान्य रूप से दिन में कई बार गैस निकलना बिल्कुल सामान्य है।
बदबू हमेशा नहीं होती। बदबू प्रोटीन के कुछ घटकों और सल्फर यौगिकों के कारण होती है, जो भोजन पर निर्भर करते हैं।
कई बार यह संकेत देता है कि आप पर्याप्त फाइबर ले रहे हैं, जो आंतों के स्वास्थ्य के लिए अच्छा है।
असहजता कम कैसे करें?
धीरे‑धीरे खाएँ: भोजन अच्छी तरह चबाएँ, जल्दबाजी न करें।
गैस‑ट्रिगर फूड्स को पहचानें: एक फूड डायरी रखें और देखें किन चीजों से आपको ज्यादा गैस होती है।
कार्बोनेटेड ड्रिंक्स सीमित करें: सोडा, स्पार्कलिंग वॉटर कम लें।
प्रोबायोटिक्स और दही: कई लोगों में आंतों का संतुलन बेहतर होता है।
फाइबर बैलेंस: अचानक बहुत ज्यादा फाइबर न बढ़ाएँ। मात्रा धीरे‑धीरे बढ़ाएँ और पानी पर्याप्त पिएँ।
एक्टिव रहें: हल्की वॉक या योग से आंतों की गतिशीलता बेहतर होती है।
स्ट्रॉ और च्युइंग गम कम करें: अतिरिक्त हवा निगलने से बचेंगे।
मसाले और तले भोजन का संतुलन: कुछ मसाले और तला‑भुना भोजन संवेदनशील पेट में गैस बढ़ा सकता है।
कब डॉक्टर से मिलें?
लगातार तेज पेट दर्द, बार‑बार उल्टी, खून के साथ मल, बिना वजह वजन घटना।
गैस के साथ लगातार दस्त या कब्ज, या रात में नींद टूटने वाली ऐंठन।
डेयरी या खास भोजन के बाद बार‑बार समस्या होना, जिससे असहिष्णुता का शक हो।
अचानक पेट बहुत ज्यादा फूलना या कड़ा महसूस होना।
आम भ्रांतियाँ
“गैस निकलना हमेशा असभ्य है” — नहीं, यह शारीरिक प्रक्रिया है। शिष्टाचार का ध्यान अलग विषय है, पर स्वास्थ्य की दृष्टि से यह सामान्य है।
“बदबू मतलब बीमारी” — जरूरी नहीं। अक्सर यह भोजन पर निर्भर होती है।
“गैस दबा कर रखना ठीक है” —
लगातार रोकने से पेट में असहजता, दर्द या फूला‑फूला लग सकता है। मौका और शिष्टाचार देखते हुए, स्वाभाविक रूप से निकलने देना बेहतर है।
त्वरित चेकलिस्ट
क्या आप जल्दबाजी में खाते हैं?
क्या आपने हाल में हाई‑फाइबर डाइट शुरू की है?
क्या सोडा या स्ट्रॉ से पीते हैं?
क्या खास फूड्स के बाद समस्या बढ़ती है?
क्या आप पर्याप्त पानी और रोजाना हल्की गतिविधि करते हैं?
निष्कर्ष
गैस का बनना और निकलना पाचन का नैसर्गिक हिस्सा है। संतुलित डाइट, खाने की आदतों में छोटे बदलाव, और सक्रिय दिनचर्या से असहजता काफी हद तक कम की जा सकती है। अगर लक्षण असामान्य या तकलीफदेह हों, तो विशेषज्ञ से सलाह लेना समझदारी है।
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